बहुत प्रभावित करते हैं फिल्मी गानेः तनुजा चतुर्वेदी


भोपाल ।फिल्मों में गाने का प्रभाव बहुत अंदर तक होता है । गानों में सवाल-जवाब भी होते हैं, जिसे यदि संवाद के जरिए बोला जाए तो उतना अच्छा नहीं लगेगा, जितना गानों में लगता है। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में फिल्म एप्रीसिएशन कार्यशाला के तीसरे दिन ये बातें मुंबई से आई फिल्मकार, लेखक, निर्माता एवं निर्देशक सुश्री तनुजा चतुर्वेदी ने कही। स्टार प्लस, सोनी और जीटीवी जैसे नामी चैनल्स के कई धारावाहिकों के लिए स्क्रीन प्ले लिख चुकी तनुजा ने वर्कशॉप में गानों एवं फिल्मों की बारीकियों को विशेष रुप से बताया।


      उन्होंने महबूब खान की मदर इंडिया, विमल राय की उदास, गुरुदत्त की काजल के फूल, राजकपूर की प्रेमरोग, एवं बांग्लामूवी सुवर्णारेखा आदि फिल्मों के कुछ अंश भी दिखाए। उन्होंने इन फिल्मों की खूबी, स्क्रीन प्ले एवं गानों पर प्रतिभागियों के साथ चर्चा की । फिल्म एवं टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पुणे से फिल्मों एवं स्क्रीन प्ले की बारीकियां सीख चुकीं सुश्री तनुजा ने कहा कि फिल्मकार समाज में घट रही चीजों को देखता है एवं इसे स्क्रीन के माध्यम से सामने दिखाता है। उन्होंने प्रतिभागियों को अच्छी कहानी, संवाद एवं शॉट के बार में महत्वपूर्ण जानकारी भी दी।