सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से लड़ी जा रही मप्र में कोरोना के विरूद्ध जंग

-प्रो. अनुराग सीठा



   सूचना प्रौद्योगिकी को विगत दशक की सबसे प्रमुख प्रौद्योगिकी के रूप में माना जाता है और देश- प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोरोना के कारण जब राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन जैसी समस्या का सामना करना पड़ा उस समय भी मध्य प्रदेश सरकार का कोई भी महत्वपूर्ण कार्य नहीं रुका और उस कार्य को आईटी का प्रयोग कर संचालित किया गया। ऐसे समय जब कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन हुए मध्यप्रदेश में एक बड़ी आबादी घरों में सिमट गई है। आम जन-जीवन को सुगम बनाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार अपने तकनीकी संसाधनों द्वारा लगातार प्रयासरत है।


    कोरोना के कारण जब लॉकडाउन के कारण जरूरी सेवाओं वाले विभागों को छोड़कर शेष सारे सरकारी दफ्तर बंद हो गए, यहाँ तक कि मंत्रालय भी। ऐसे में आवश्यक प्रशासनिक व्यवस्थाओं तेजी से लागू करने में सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो गयी। सूचना प्रौद्योगिकी ने जिस तरह बहुआयामी भूमिका निभाते हुए मध्यप्रदेश के लोगों कोकोरोना के खिलाफ युद्ध में एकजुट किया, वह काबिले तारीफ है। प्रदेश के सभी वर्गों तक कोरोना से संबंधित आवश्यक जानकारी पहुंचाने, उन्हें जागरूक करने, उन तक आवश्यक मदद पहुंचाने, प्रशासकीय व्यवस्थाओं को चुस्त दुरुस्त रखने, आवश्यक निर्णय लेने के लिए दूरस्थ अधिकारियों से बैठक करने, स्वास्थ्य, राशन, दवाइयों की उपलब्धता तथा अन्य जानकारी अद्यतन करने, स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक सामग्री का लेखा-जोख रखने, विशेषज्ञों से चर्चा करने, गरीब परिवारों तक राशन तथा नगद राशि के भुगतान संबंधी कार्यों में कम्प्यूटर तथा सूचना प्रौद्योगिकी ने मदद की तथा मध्यप्रदेश शासन ने इसे बेहतर ढंग से उपयोग किया।


    कोरोना से इस जंग में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका स्वास्थ्य विभाग की थी। प्रदेश के बड़े शहरो से लेकर छोटे सूदूर जिलों तथा तहसील स्तर तक के अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड तैयार करने, बिस्तरों को आरक्षित करने, वेंटिलेटर की स्थिति को आंकनें, दवाइयों की उपलब्धता, आक्सीजन सिलेडरों की व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवा से संबंधित व्यक्तियों का प्रशिक्षण इत्यादि संभी  कार्यों में आईटी सेवाओं की मदद ली गई तथा डाटाबेस को व्यवस्थित किया गया ताकि आवश्यकता होने पर तत्काल मदद दी जा सके। कोरोना से मध्यप्रदेश की जंग में लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने ऑनलाइन वीडियो कांफ्रेंसिंग सेवाओं जैसे जूम, स्काइप आदि का प्रयोग कर दूर गांवों के स्वास्थ्य अमले को कोरोना के संदर्भ में प्रशिक्षण प्रदान किया गया तथा वहां उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं की मॉनिटरिंग की गईडेस्क टॉप पब्लिशिंग का प्रयोग कर  स्वास्थ्य अमले को कोरोना से जंग में मदद के लिये 59 पृष्ठीय विस्तृत मार्गदर्शिका भी तैयार की गई है।


    नेशनल इंफर्मेटिक्स सेन्टर (NIC) की वीडियो कांफ्रेंसिंग सेवाओं का उपयोग कर हर जिले में कोविड संक्रमण की रोकथाम एवं बचाव की ठोस रणनीति तैयार करने के उद्देश्य से जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिलाक्राइसिस मैनेंजमेंट ग्रुप काम कर रहे हैं। ये ग्रुप दूरस्थ बैठे अपने अधिकारियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग  कर रोज बैठक कर अगले 24 घंटे की पुख्ता रणनीति बनाते हैं।


    कोरोना के संदिग्धों की तलाश करना और उन तक पहुंचना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। विदेश या बाहर के प्रदेशों से आने वालों के बारे में पुख्ता जानकारी जुटाने के साथ ही उनके सेहत की पड़ताल बहुत अहम है। ऐसे में ‘कोविड-19 एक्टिव सर्विलांस टीम की भूमिका बेहद खास है। इस टीम में शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कई कुशल कम्प्यूटर आपरेटर लगे हैं। इस टीम ने शुरुआती दिनोंमें ही दिन-रात मेहनत कर विदेश व बाहर से आने वाले हर किसी को चिह्नित किया। टीम के कार्य का मुख्य फोकस यही है कि प्रदेश में कोई भी कोरोना के सम्भावित मरीज छूटे नहीं। COVID पोर्टल भी बनाया गया है जो हर जिले को सर्वेक्षण डाटा का एक्सेस उपलब्ध कराता है और जिसे राज्य स्तर पर ट्रेक किया जा सकता है।


   आई.टी सेवाओं के कारण ही राज्य के गरीब परिवारों की पहचान कर उन्हें एक माह का राशन नि:शुल्क दिया गया। ऑन लाइन बैंकिग प्रमालियों का उपयोग कर पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के खातोंमें 88 करोड़ 50 लाख 89 हजार रुपये की आपदा राशि ट्रांसफर की गई। इससे 8 लाख 85 हजार 89 श्रमिकों को एक-एक हजार रुपये मिले। शासकीय/अशासकीय शालाओं केकक्षा 1 से 12वीं तक के 52 लाख विद्यार्थियों के खाते में 430 करोड़ रुपये विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं की राशि ऑनलाइन ट्रांसफर की गई। समेकित छात्रवृत्ति योजना में 52 लाख विद्यार्थियों के खातों में 430 करोड़ रुपये की राशि जमा कराई गई। मध्यान्ह भोजन वितरण में 66 लाख 27 हजार विद्यार्थियों के लिये 117 करोड़ रुपये की राशि उनके अभिभावकों के खातों में डाल दी गई। प्राथमिक शाला के विद्यार्थियों को 148 रुपये प्रति विद्यार्थी और माध्यमिक शालाओं के विद्यार्थियों को 221 रुपये प्रति विद्यार्थी के मान से राशि दी गई। मध्यान्ह भोजन योजना के 2 लाख 10 हजार 154 रसोइयों कोमानदेय की कुल राशि 42 करोड़ 3 लाख 8 हजार रुपये प्रति रसोइयाँ 2000 रुपयेके मान से उनके खातों में जमा कराई गई।


   कोरोना महामारी के कारण अनुसूचित जाति एवं जनजाति बहुल क्षेत्रों में बन्द हो गये स्कूलों में पदस्थ अतिथि शिक्षकों के वेतन का भुगतान ऑनलाइन बैंकिंग प्रणलियों का उपयोग कर अप्रैल माह तक कर दिया गया है।इसी तरह कुपोषण से मुक्ति के लिये आहार अनुदान योजना में प्रति माह 1000 रुपये के मान से दो माह का अग्रिम भुगतान किया गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्यप्रदेश के द्वारा COVID-19 से सबंधित मानसिक और भावनात्मक समस्याओं पर चिकित्सीय सलाह और मनोवैज्ञानिक परामर्श, सायकोएजुकेशन और साइकोलॉजिकल फर्स्ट एड हेतु ऑनलाइन तथा टेलीफोन के माध्यम से हेल्पलाइन सेवा प्रदान कराई जा रही हैं इसके अंतर्गत होम और फैसिलिटीज क्वारन्टीन किये लोगों तथा आम लोगों को भी कारेोना स्ट्रेस पर मानसिक परामर्श प्रदान कराया जा रहा है। 18002330175 टोल फ्री नम्बर पर लोग 24x7 फोन करके सलाह व परामर्श ले रहे हैं। प्रोएक्टिव कॉल भी किये जा रहे है। कोरोना वायरस संक्रमण के विषय में अधिक जानकारी देने के उद्देश्य से लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने अपनी वेब साईट http://www.health.mp.gov.in को अद्यत किया है। कोरोना वायरस से उत्पन्न स्थिति के कारण लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए टोल फ्री नम्बर 104, 181 में कॉल रिसीव किये जा रहे है, इस कॉल सेन्टर में विगत एक माह में सूचनाएं प्रदान करने, स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं के बारें में परामर्श, काउंसलिंग तथा शिकायतों से संबंधित 96 हजार से ज्यादा टेलीफोन कॉल प्राप्त किए जाकर उनका समाधान प्रस्तुत किया है।


    भोपाल स्थित स्मार्ट सिटी एकीकृत इंटीग्रेटेड कंट्रोलएण्ड कमाण्ड सेंटर जिससे मध्यप्रदेश के 7 शहर भोपाल, इन्दौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर, एवं सतना जुड़े है में इन शहरों में लगे सभी सेंसर्स जैसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट बसों में लगे जीपीएससेन्सर्स, डायल 100 वाहन की स्थिति, 108 एम्बुलेंस की स्थिति, स्मार्ट पोलएवं स्मार्ट लाइटिंग, ट्रैफिक मैनेजमेंट कैमरे, स्मार्ट मैप इत्यादि व्यवस्थाओं को रियल टाईम में देखा जा रहा है तथा इस एकीकृत कण्ट्रोल एंड कमांड सेंटर से आपातकालीन स्थिति एवं आपदा प्रबंधन में तुरंत कार्यवाही करने हतु निर्देश प्रदान किए जा रहे है। इन शहरों में कोई भी आपात स्थिति में नियंत्रण कक्ष से लाइव विडियो देखकर जरूरी सेवाओं जैसे फायरबिग्रेड, डायल 100 एवं 108 एम्बुलेंस को तुरंत सूचित किया जाने की व्यवस्था है।


    देश में लॉकडाउन के चलते, आज लगभग सब कुछ बंद पड़ा है और इस आपदा की घड़ी में आज भी देश मास्क जैसी मामूली चीजे भी अन्य देशो सें आयात करवा रहा है और इसमें भी बहुत सा समय लग रहा है। साथ ही क्वालिटी के मामले में भी यह मास्क खरे नहीं उतर रहे हैं, लिहाजा मध्य प्रदेश में मास्क की किसी तरह की कोई कमी न आए साथ ही न इसके लिए किसी अन्य राज्य का मुंह देखना पड़ेसाथ ही लॉकडाउन के ऐसे वातावरण में महिलाओं को रोजगार देने और देश को कोरोना वायरस से बचाने के लिए उद्योग नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग, मध्यप्रदेशद्वारा जीवन शक्ति योजना (Madhya Pradesh Mask Scheme) की शुरूआत की गई है। इस योजना से जो शहरी महिलाएं काम न होने की वजह से घऱ पर खाली बैठी थी ,वह अब इस दौरान भी अच्छी आय अर्जित कर पाएंगी। योजना में सरकार महिलाओं को मास्क बनाने का काम सौंप रही है। इसके बाद सरकार महिलाओं से 11 रूपए प्रति मास्क खरीद कर जनता तक पंहुचाने का काम करेगी।यह कार्य ङी पूर्णत विभाग की वेवसाइट http://maskupmp.mp.gov.inके माध्यम से किया जा रहा है। प्रदेश में बड़े पैमाने पर मास्क निर्माण के लिये 25 अप्रैल से जीवन शक्ति योजना लागू की गयी है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर योजना के क्रियान्वयन के पहले दिन प्रदेश में 4200 शहरी महिलाओं ने अपना पंजीयन कराया है।


   कोरोना के संदर्भ में केन्द्र शासन द्वारा जारी मोबाइल एप्प आरोग्यसेतु के साथ साथसीएम हेल्पलाइन 181, टेलीमेडिसिन, सर्व ग्वालियर एप्प, सार्थकएप (खण्डवा और सागर) जैसे कई नवाचारी प्रयास उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं।मध्यप्रदेश शासन के जनसम्पर्क विभाग ने फेसबुक के सहयोग से एमपी गव्हर्नमेंट कोरोना व्हाट्सएप इन्फोडेक और विभाग का आधिकारिक फेसबुक मैसेंजर 'चैटबॉट' तैयारकराया है। जन सामान्य को कोरोना व्हाट्सएप हेल्प डेस्क (+917834980000) और मैसेंजर चैटबॉट पर आसानी से कोरोना वायरस संक्रमण से जुड़ी जानकारी मिल रही है।लॉकडाउन के दौरान ग्वालियर नगर में रोजमर्रा की वस्तुएँ उपलब्ध कराने में 'सर्व ग्वालियर एप' अहम भूमिका निभा रहा है।


    प्रदेश के अधिकांश विश्वविद्यालय भी विद्यार्थियों की लॉकडाउन अवधि में छात्रों का नुकसान न हो इसलिए ऑनलाइन कक्षाएं संचालित कर रहे है। 'डिजी लैप - आपके घर' योजना के माध्यम से 12वीं तक के विद्यार्थी अंग्रेजी, हिन्दी, गणित औरविज्ञान आदि विषयों की अध्ययन सामग्री व्हाट्सएप पर ही प्राप्त कर रहे हैं।


   मध्यप्रदेश शासन ने भोपाल में कोरोना के संदर्भ में एकराज्य स्तरीय कंट्रोल रूम का निर्माण किया है। इस कंट्रोल कक्ष में 450 प्रशिक्षित कर्मचारियों को पदस्थ किया गया।यह नियंत्रण कक्ष 24 घंटे स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन भोपाल के इंटीग्रेडेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में नागरिकों एवं प्रवासियों की विभिन्न समस्याओं को प्राप्त कर संबंधितों के पास निराकरण के लिये भेज रहा है। कोरोना की इस लड़ाई में न सिर्फ शासकीय अमले में शामिल लोग शामिल हैं वरन सेवाभाव रखने वाले कई सामाजिक संगठन भी इस लड़ाई में शासन के साथ है।इन संगठनों के साथ दिए बिना इतने बड़े प्रदेश में हर स्तर पर लोगों को आवश्यक सुविधाएं पहुँचा पाना असंभव था। इसके लिए भी आई टी सेवाओं की मदद ली गई। लोगों को कोरोना से संघर्ष के लिये तैयार करने के लिये 'वालिंटियर बनो-सेवा करो' की भावना से प्रेरित किया जा रहा है। कोरोना संकट के दौरान राहत कार्यों में अपना योगदान देने के इच्छुक लोग https://mapit.gov.in/COVID-19/Login.aspx वेबसाइट पर पंजीयन करवा सकते हैं।इस योजना में अभी तक कुल 63087 लोग जुड़कर अपनी सेवाएं लोगों तक पहुंचा रहे है।


(लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में प्रोफेसर हैं)