मीडिया विमर्श का तेलुगु मीडिया विशेषांक


      सर्वप्रथम,  मीडिया विमर्श के 12 वर्ष पूरे करने के उपलक्ष्य में हार्दिक बधाई और पत्रिका के अनवरत प्रकाशन के लिए लिए शुभकामनाएं । संपादकीय स्तम्भ में संपादक द्वारा आजादी की व्याख्या बहुत ही विस्तृत रूप में की है । यह सच है कि हम पूर्णरूप से आजाद नहीं है, किसी न किसी रूप में किसी न किसी के गुलाम अब भी है और शायद पूर्ण आजादी हमें रास भी न आए । संपादकीय बहुत ही अच्छा बन पड़ा है ।


तेलुगु पत्रकारिता के बारे में दी गई जानकारी अविस्मरणीय है । तेलुगु पत्रिकाओं के नाम , प्रकाशन वर्ष एवं संपादकों के बारे में दी गई विस्तृत जानकारी बहुत ही महत्वपूर्ण है । तेलुगु भाषा की पत्रिकाओं का हिंदी में अनुवाद करप्रकाशित करना हिंदी माध्यम सेतेलुगु भाषी समुदाय को संपूर्ण भारत से जोड़ने का प्रयास सराहनीय है ।


“तेलुगु मीडिया की चेतना के विविध परिदृश्य” नामक लेख में लेखक ने तेलुगु पत्रकारिता की उन्नति में योगदान देने वाले आरंभिक दौर के पत्रकारों की जानकारी देकर मानों उन सभी पत्रकारों को श्रृद्धांजलि अर्पित की है । लेख ज्ञानवर्धक है ।


“तेलुगु के प्रमुख समाचार पत्रों में महिला स्तंभों का स्वरूप” नामक लेख में लेखिका ने विभिन्न दैनिक पत्रों में महिलाओं के लिए विभिन्न विषयों पर प्रेरणादायक समाचार व लेख तथा विशेषांकों के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ साथ विभिन्न समाचार पत्रों की जानकारी भी दी है, जो उपयोगी है । लेखक द्वारा दैनिक समाचार पत्र “ ईनाडु ” विस्तार से रोचक जानकारी दी गई है । भाषा की अस्थिरता व बदलाव तथा बदलाव को समझ कर उचित सुधार के महत्व पर प्रकाश डाल कर लेखक ने“ ईनाडु ” की सफलता के राज को बहुत ही खूबसूरती से वर्णित किया है ।


        वरिष्ठ पत्रकारों के साक्षात्कार से बहुत कुछ जानने को मिला है । वेब पत्रकारिता के बारे में दी गई जानकारी सटीक है । वेब पत्रकारिता की खुबियों के बारे में बताया गया है । वेब पत्रकारिता में खुबियों के साथ साथ खामिया भी है, यदि लेख में इन खामियों से बचने की राह दिखाई जाती तो और भी बेहतर होता । संगीत और सिनेमा की सफलता में सबसे बड़ा हाथ मीडिया का है । मीडियी के माध्यम से याने टेलीविजन और रेडियों के माध्यम से न केवल संगीत अपितु अन्य कई जानकारी के बारे में लेखिका ने विस्तृत से प्रकाश डाला है ।


        अंततः यह कहना चाहूंगी  कि इस विशेषांक को बहुत की ज्ञानवर्धक और गुणों की खान माना जा सकता है , पर फिर भी इस विशेषांक में कुछ खामियां है और सबसे बड़ी खामी यह है कि इस पत्रिका का प्रकाशन हिंदी के प्रसार-प्रचार हेतु किया जा रहा है फिर भी यहां कुछ अंग्रेजी रचनाएं शामिल की गई है , जिनसे बचा जा सकता था । फिर भी “ मीडियी विमर्श” का “तेलुगु मीडिया विशेषांक” समग्र रूप से उपयोगी है । 


                                                      - सरोज नागराजन,   चेन्नई