मीडिया के क्षेत्र में हिंदी की भूमिका

मीडिया के क्षेत्र में हिंदी की भूमिका


-डॉ लीना बी.एल



वैश्वीकरण के इस युग में मीडिया का व्यापक प्रभाव हर कहीं परिलक्षित हैं I मीडिया के कारण आज समूचा विश्व विश्वग्राम में तब्दील हो गया है I मीडिया एक माध्यम है और इस माध्यम का माध्यम भाषा है I भारत में इस माध्यम की भूमिका 'हिंदी' भाषा बखूबी निभा रही हैं I हिंदी जानने वालों की संख्या भारत में बहुत अधिक है I सूचनाओं के विस्फोट के इस युग में हिंदी का बोलबाला होते दिखायी दे रहा है I आज के युग को 'मीडिया ऐज' कहा जाता है I मीडिया के द्वारा हमारे सामाजिक जीवन में आये बदलाव सकारात्मक है और कुछ पक्ष तो नकारात्मक भी है I इसे कहे बगैर आगे नहीं बढ़ सकती I वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने हिंदी भाषा को नए आयाम दिए हैं I आज हिंदी भाषा को रोजगाराभिमुख बनाया जा रहा है I   


समाचार पत्र , आकाशवाणी, दूरदर्शन, फिल्म, विज्ञापन, संगणक आदि प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वैश्वीकरण एवं बाजारीकरण में अहम् भूमिका निभा रहे हैं Iपत्र पत्रिकाओं के ज़रिये हिंदी का प्रचार प्रसार हो रहा हैं I  संचार माध्यमों ने हिंदी का प्रयोग करके विश्व बाजारीकरण का रूप धारण कर लिया हैं I विश्व के अनेक राष्ट्रों में हिंदी का विकास तीव्र गति से हो रहा है I हिंदी संचार  से जुडी सारी गतिविधियाँ इन्टरनेट में अंकित हैं I हिंदी का स्थान अलग –अलग संचार माध्यमों में कितना हैं , इस पर आगे के लेख अग्रसर है I


पत्रकारिता के क्षेत्र में  हिंदी की अहम् भूमिका है I आज हमारे देश में लाखों की संख्या में मासिक, पाक्षिक, साप्ताहिक और दैनिक समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं I आधुनिक यांत्रिकी के कारण प्रकाशन तकनीकी में क्रांति आ गयी है I मुद्रण माध्यम के अंतर्गत समाचार पात्र, पत्रिकाएं, जर्नल,पुस्तकें, पोस्टर, पैम्फलेट आदि आते हैं I पत्रकारिता जन सूचना के साथ जन शिक्षण , जनजागृति को भी प्रमुखता देती हैं I नए साधनों के आविष्कारों ने पत्रकारिता को बहुआयामी बना दिया है I अन्वेषी पत्रकारिता, वाणिज्य पत्रकारिता, खेल पत्रकारिता, फिल्म पत्रकारिता, संसदीय पत्रकारिता, रेडियो पत्रकारिता, फोटो पत्रकारिता, दूरदर्शन पत्रकारिता, अंतरिक्ष पत्रकारिता, आदी अनेक प्रकार के पत्रकारिता हैं I हिंदी वेब पत्रकारिता का महत्व बढता जा रहा है I वेब दुनिया, प्रभासाक्षी तहलका,सृजन गाधा, मीडिया विमर्श , वाह मीडिया आदि वेब पत्रकारिता की स्वतंत्र साइट्स हैं I हिंदी जन-जन में व्याप्त बहुमुखी एवं लचीली भाषा है I समकालीन संचार माध्यमों के अनुरूप भाषा ढलती है I केबल, इन्टरनेट, कंप्यूटर में पत्रकारिता का क्षेत्र व्यापक बन गया I प्रौद्योगिकी के साथ भाषा में भी बदलाव आया I हिंदी के क्षेत्र में विस्तार हुआ I


      आज हिंदी वेब पत्रकारिता के माध्यम से पाठक का संपादक से सीधा संवाद हो गया है I हिंदी ग्लोबल लैंग्वेज के तल पर प्रतिष्ठित है I विदेशों के प्रमुख शहरों से भी हिंदी की पत्रिकाएं निरंतर छपती है I नई दिल्ली के अमेरिकन दूतावास द्वारा ब्रिटिश समीक्षा पत्रिका छपती है I मुंबई से निकलनेवाली अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका टाइम्स का हिंदी संस्करण है I इंडिया टुडे, एम्प्लॉयमेंट न्यूज़, जनसत्ता ,हिंदुस्तान , नवभारत टाइम्स , आउटलुक आदि पत्रिकाएं हिंदी में भी अपना संस्करण प्रकाशित कर रही है I फिल्म,राजनीति ,खेल आदि विषयों से सम्बंधित पत्रिकाओं के इ-संस्करण इन्टरनेट पर उपलब्ध हैं I


आज के युग में फिल्म संचार माध्यम सबसे बड़ा माध्यम है I साहित्य की तरह सिनेमा भी समाज का आईना है I सिनेमा द्वारा मानवीय संवेदनाओं को विश्व के कोने-कोने तक पहुंचाया जा सकता है I हिंदी साहित्य से फिल्मों का गहरा रिश्ता है I फ़िल्मी उद्योग ने हिंदी को अपनाया क्योंकि अधिकतर लोग इस भाषा को समझते हैं ,जानते हैं और बोलते हैं I  विश्व की हर भाषा में बनायी गयी फिल्मों को फिल्मकार हिंदी में डुबोना चाहते हैं I  अखिल भारतीय स्तर पर फिल्मों के कारण अहिन्दी भाषी क्षेत्र में हिंदी का अविराम विकास होने लगे Iहिंदी फिल्मों के प्रभाव देखकर दक्षिण भारतीय कलाकार जैसे रजनीकांत, कमलहासन ,नागार्जुन ,रेखा, श्रीदेवी, जयप्रदा, शंकर महादेवन, उदित नारायण आदि आये I विभिन्न भाषा की फिल्में हिंदी में डूब हुई है I हिंदी फिल्मों के विकास में सत्यजित रे , चंद्रकांत चाटरर्जी, महाश्वेता देवी जैसे फिल्मकारों एवं साहित्यकारों ने अपना योगदान दिया हैं I हिंदी के अनेक साहित्यकारों ने अपनी अनेक रचनाओं को फिल्मों के ज़रिये घर पहुंचाया है I जैसे प्रेमचंद के 'गोदान', 'सेवासदन', भगवतीचरण वर्मा के 'चित्रलेखा', राजेन्द्र यादव के 'सारा आकाश', जैनेन्द्र के 'त्यागपत्र' आदि I हिंदी के प्रचार प्रसार में हिंदी फिल्म गीतों का भी महत्व है I आनंद बख्शी, गुलजार ,जय किशन, संकर महादेवन, मिलिंद आनंद जैसे गीतकारों ने फ़िल्मी संगीत को अमर बना दिया I आज विश्व में हिंदी दूसरे नंबर की भाषा है जिसका श्रेय हिंदी  फिल्मों को ही जाता हैं I समाज के उपेक्षित , नाजायज संतान , किन्नर , वेश्या, समलैंगिक, रोगी, महिलाएं आदि की समस्याओं को फिल्मों ने बखूबी उभारा है I सिंगम,अपहरण, फैशन,गंगाजल आदि ऐसी ही फ़िल्में हैं I फ़िल्में सामाजिक प्रहरी और सामाजिक सचेतक का काम करती है I संयोजित एवं सुचिंतित नीति से फिल्म बनें तो समाज के लिए अधिक भला होगा I


 टेलिविजन जनसंपर्क का एक अगला सशक्त माध्यम है I टेलीविजन के प्रसारण के कारण हिंदी को एक नया प्रसार क्षेत्र मिल रहा है I दूरदर्शन की भाषा और साहित्य की भाषा में अंतर हैं I सर्वसमावेशक भाषा के रूप में हिंदी भाषा का कार्य दूरदर्शन पर चलता है I वर्तमान युग में भाषा का नया स्वरुप टेलीविजन द्वारा प्राप्त होता है I टेलीविजन हिंदी की सृजनशीलता को नयी ऊर्जा एवं नया स्वरुप प्रदान करते हैं I डी.डी न्यूज़ ,इंडिया टी.वी , जी न्यूज़ , आज तक आदि हिंदी समाचार पत्र प्रसारित करते हैं I अब मानक भाषा खोकर आंचलिक उपभाषीय रंग बिरंगा मिश्रित प्रयोग भाषा के उच्चारण में शामिल हो गया है I प्रादेशिक क्षेत्रों के हिंदी प्रसारण में आंचलिक भाषा का महत्व बढ़ जाता है I दूरदर्शन में साहित्यिक कार्यक्रमों में हिंदी भाषा का महत्वपूर्ण योगदान है I साहित्यिक विधाएं प्रस्तुत करते समय मीडिया हिंदी भाषा के प्रति सतर्क रहता है I दूरदर्शन की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि उसने हिंदी भाषा के विविध रूपों को जन्म देने में मुख्य भूमिका निभायी है I कुछ चैनल जैसे स्टार प्लस, बी.बी.सी आदि लोकस्वीकृत अच्छी हिंदी का इस्तेमाल करते हैं I अंतर्राष्ट्रीय चैनलों में प्रसारित कार्यक्रमों की भाषा से पता चलता है कि इन चैनलों ने हिंदी की उस भाषा को जन्म दिया है जिसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिले-जुले शब्दोंवाली भाषा का नाम दे सकते है I यह कटु सत्य है कि दूरदर्शन पर आधुनिक खिचड़ी भाषा का प्रयोग हो रहा है I


रेडियो ऐसा संचार माध्यम है जिसके माध्यम से व्यापक जनसमुदाय तक एक साथ सन्देश पहुँचाया जा सकता है I यह संचार का सस्ता, सुविधाजनक एवं लोकप्रिय साधन है I रेडियो निरक्षरों के लिए एक वरदान है I इसके द्वारा वे सुनकर अधिक से अधिक सूचना, ज्ञान, मनोरंजन हासिल कर लेते है I रेडियो प्रसारण में वार्ताएं, भेंट वार्ताएं, परिचर्चा, नाटक, कहानी, कविता आदि के साथ ही महिलाओं, युवाओं, बच्चों, किसानों , मजदूरों आदि स्रोतों के लिए कार्यक्रमों का प्रावधान है I रेडियो द्वारा हिंदी भाषा के माध्यम से कई कार्यक्रमों का प्रस्तुतीकरण किया जाता है I इसके प्रस्तुतीकरण की हिंदी भाषा सरल एवं सुबोध है I विविध भारती द्वारा प्रसारित होनेवाले विविध कार्यक्रम मनोरंजन का खज़ाना है I जहाँ हिंदी भाषा से रेडियो के कार्यक्रमों में समृद्धि आई है, वहाँ रेडियो ने भी हिंदी को जन-जन तक पहुँचाया है I 1945 से हिंदी प्रसार के लिए अहिन्दी भाषी केन्द्रों से हिंदी प्रशिक्षण के कार्यक्रम शुरू किये गए I निरंतर हिंदी में वार्ताएं भी प्रसारित की जाती हैं I रेडियो नाट्य लेखन में विष्णु प्रभाकर का नाम मुख्य है I डॉ.रामकुमार वर्मा, उपेन्द्रनाथ अश्क , हरिश्चंद्र खन्ना,रेवतीरमण शर्मा आदि ने भी अच्छे रेडियो नाटक लिखे I झलकी, रूपक, डाक्यूमेंट्री आदि भी रेडियो से प्रसारित होती है I  वरिष्ठ कवियों की कवितायेँ प्रसारित होती है I बी.बी.सी लन्दन ने हिंदी का प्रथम प्रसारण 11 मई 1940 को किया था I बी.बी.सी , वाईस ऑफ़ अमेरिका ,रेडियो मास्को, रेडियो सिलोन, रेडियो जापान जैसे केन्द्रों ने हिंदी को विश्व में लोकप्रिय बना दिया है I एक भाषा के रूप में हिंदी के गुणात्मक विकास ही नहीं बल्कि भाषाई गुणवत्ता के विकास में भी आकाशवाणी की भूमिका अविस्मरणीय है I  


विज्ञापन माध्यम की एक अहम् पहलू है I विज्ञापन का मूल  उद्देश्य ही किसी वस्तु की बिक्री हेतु प्रभावपूर्ण ढंक से सन्देश देना है I किसी विज्ञापन की भाषा में जितनी आकर्षण शक्ति और मिठास होगी, उपभोक्ता उस वस्तु को खरीदने में दिलचस्पी दिखायेगा I हिंदी भाषा ने विज्ञापनकर्ताओं को आकर्षित किया I हिंदी भाषा में लय और मिठास है I हिंदी की इस खूबी के कारण अधिकांश व्यवसायियों ने इस भाषा का चयन किया है I हिंदी भाषा को भी प्रचार का एक नया क्षेत्र मिला I दिनोंदिन हिंदी भाषा में अधिक आकर्षक शब्दावली का समावेश बढ़ता जा रहा है I हिंदी में प्रयुक्त विज्ञापन अधिक प्रभावशाली है I हिंदी भाषा का संक्षिप्त रूप अर्थात मुहावरे, लोकोक्तियाँ, कहावतें आदि विज्ञापन को आकर्षित करते हैं I विज्ञापनों में प्रयुक्त संक्षिप्त वाक्य हमारे रोजमर्रा के व्यवहारिक शब्द बनते हैं – सन्डे हो या मंडे रोज़ खाओ अंडे, जमके खाओ कुछ बनके दिखाओ आदि I गुणात्मक ,काव्यात्मक, संगीतात्मक हिंदी भाषा का प्रयोग करता है I बाहरी उत्पादक भी हिंदी भाषा का इस्तेमाल कर रही है I


हिंदी भाषा में प्रयुक्त विज्ञापन पूरे देश तक पहुँचता है I हिंदी के विज्ञापनों को अन्य भाषाओँ में परिवर्तित करने पर प्रभाव नष्ट होती है I आसान शब्दों का सरलतापूर्वक प्रयोग कर सकते है I सरसता और मधुरता इस भाषा की अपनी संपत्ति है I विज्ञापन एजेंसियां अंग्रेजी के विज्ञापनों को भी हिंदी में अनुवाद करके प्रसारित करने लगी है I हिंदी के बिना उनका गुजारा नहीं होगा, यह स्थिति पैदा हुई है अब I हिंदी अभी अपनी नयी शैली, शब्दकोष, पर्यायकोश तथा पारिभाषिक शब्दकोशों के निर्माण में लगी हुयी है I हिंदी के समृद्ध शब्द भंडार के कारण निर्णयात्मक बुद्धि की जरूरत होती है I हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए विज्ञापन एक सशक्त माध्यम है I तकनीकी ज्ञान की सहायता से हिंदी को और भी सशक्त बनाना है I


कंप्यूटर और इन्टरनेट के असीमित विस्तार के दौर में हिंदी के विस्तार एवं विकास के अनेक मौके हैं I हिंदी सोफ्टवेयरों के विकास से हिंदी कंप्यूटरों की चाल बढ़ने लगी I सी डैक , मोडुलर इन्फोटेक, साइबर स्केप, मल्टीमीडिया लिमिटेड, आइ.आइ.टी हैदराबाद आदि के सहयोग से हिंदी सोफ्टवेयर उपकरणों का विकास हो रहा है I इनमें टू टाइप फोंट्स कीबोर्ड ,यूनिकोड आधारित ओपन टाइप फोंट्स, हिंदी में फायर फॉक्स, ब्राउज़र , ओ.सी.आर ,शब्द वर्तनी संशोधक ,टेक्स्ट टू स्पीच प्रणाली आदि प्रमुख है I आज इन्टरनेट पर हिंदी के कई पोर्टल और साईट है I हिंदी वेब पब्लिशिंग का नया प्रमाण ब्लॉग के माध्यम से सामने आ रहा है I ए.टी.एम और उपभोक्ता सेवा केन्द्रों में हिंदी की सेवाएं उपलब्ध है I व्हाट्सअप ,यूट्यूब, वेब कैमरा आदि के प्रयोग में हिंदी अपनी क्षमता दिखा रही है I ई मेल , चैटिंग आदि कार्य हिंदी में भी हो रहा है I इन्टरनेट द्वारा हिंदी भाषा का विकास हुआ है I हिंदी के कई ब्लॉग है जिससे हम हिंदी साहित्य पढ़ सकते हैं I आज फेसबुक, व्हाट्सअप,ट्विटर ,गूगल प्लस ,लिंक्डइन, माय स्पेस ,पिंटररेस्ट आदि सोशल नेटवर्किंग साइट्स I मोबाइल के एस एम् एस से लेकर सोशल साईट तक , नोकिया के विंडोज और आईफोन से हिंदी में कार्य करने की सुविधा उपलब्ध है I फेसबुक पर कई साहित्यिक पेज हैं जैसे पत्रिका पेज, हिंदी कहानी पेज, हिंदी समीक्षा पेज आदि ऑनलाइन मीडिया में हिंदी का प्रयोग तेजी से बढ़ा है I एन.टी.टी.वी के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने लप्रेक (लघु प्रेम कथा) नाम से फेसबुक शुरू किया I मोबाइल में बहुत सारे व्हाट्सअप ग्रुप हैं I अनेक विषयों के लेक्चर भी हिंदी में मौजूद हैं I हिंदी की पोस्ट और ट्विट को हज़ारों लाइक्स और री ट्विट मिल रहे हैं I विदेशी मूल के अनेक लोग सोशल मीडिया पर हिंदी में सक्रिय हैं I सोशल मीडिया में हिंदी के प्रचार प्रसार में आधुनिक हिंदी टाइपिंग टूल का महत्वपूर्ण योगदान है I गूगल वोईस इनपुट टूल गूगल वोईस लेखन नामक नि:शुल्क टूल के जरिये बखूबी से हो रहा है I


सोशल मीडिया भविष्य का माध्यम है I हिंदी लोग इस माध्यम को अपनाये और अपनी भाषा को लेकर आगे बढे I हिंदी का पहला वेब पोर्टल सन 2000 में आया और तभी से इन्टरनेट पर हिंदी ने अपनी पकड़ मजबूत बनायीं I आज इन्टरनेट पर हिंदी साहित्य से सम्बंधित लगभग 100 से अधिक ई-पत्रिकाएं देवनागरी में उपलब्ध है I आलोक कुमार हिंदी के पहले ब्लॉगर है जिन्होंने ब्लॉग नोऊ दो ग्यारह बनाया I आज हिंदी में ब्लोगों की संख्या एक लाख के ऊपर पहुँच चुकी हैं I आज हिंदी के पंद्रह से भी अधिक सर्च इंजन है जो किसी भी वेबसाइट का चंद मिनटों  में हिंदी अनुवाद कर सकते हैं I हिंदी की डिजिटल क्षमता दिन-ब-दिन बढ़ रही है I


आज मीडिया में प्रचलित भाषा से हिंदी भाषा भ्रष्टता की ओर बढ़ रही है I हिंगलिश भाषा के बढ़ते प्रचलन से हिंदी भाषा के लिए खतरा बढ़ गया है I हिंदी भाषा के माध्यम से मीडिया समस्त विश्व को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य कर रही है I वर्तमान समय में हिंदी अपने कठिन समय से गुजर रही है I भाषा का एक मानक रूप निर्धारित करना मुश्किल होता जा रहा है I भाषा को व्यापारिकता दृष्टि से आगे बढा रही है I हमें यह बात याद रखना चाहिए कि भाषा जब बिगडती है, टूटती है ,बिखरती है या नष्ट होती है तो कोई शोर नहीं होता ,वह चुपचाप बिखरती है, टूटती है और यह ख़ामोश टूटन हमारी संस्कृति को शून्य बनाता चला जाता है I हिंदी भाषा के माध्यम से मीडिया समस्त विश्व को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य कर रही है I जहाँ मीडिया ने हिंदी की लोकप्रियता को बढाया है ,वहीँ हिंदी ने भी मीडिया को सशक्त बनाया है I  अतः हिंदी का ऐसा स्वरुप पहुंचाये जो स्वस्थ हो I इसके लिए मीडियाकर्मी का सहयोग बेहद जरूरी है I  


सन्दर्भ ग्रन्थ:



  1. मीडिया :हिंदी और पत्रकारिता , सं डॉ आरिफ महाव ,डॉ रशीद तहसीलदार ,पूजा पब्लिकेशन, कानपूर-208021

  2. मीडिया और हिंदी – डॉ मधु खर्राटे ,डॉ हनमंतराव पाटिल ,डॉ सोनवने,विद्या प्रकाशन,सी -449, गुजैनी,कानपूर- 208022

  3. उत्तराधुनिक मीडिया विमर्श –सुधीश पचौरी , वाणी प्रकाशन ,नयी दिल्ली -110002